महाभारत की कथा- shishupal vadh ki kahani
श्रीकृष्ण ने शिशुपाल के १०० अपराध क्यों माफ किए,
श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का अंत क्यों और कैसे किया?- श्रीकृष्ण ने मानवजाती को दी अनोखी सिख
इस लेख के महत्वपूर्ण मुद्दे- shishupal vadh ki kahani
- शिशुपाल कौन था
- श्रीकृष्ण और शिशुपाल बैर की शुरुवात
- शिशुपाल के १०० अपराध
- शिशुपाल का अंत
- श्रीकृष्ण का संदेश
शिशुपाल कौन था
शिशुपाल श्री कृष्ण के बुआ का पुत्र था। श्री कृष्ण ने शिशुपाल की माता को यह वचन दिया था, कि वह शिशुपाल की 100 गलतियों को माफ करेगा। लेकिन एक सौ गलतियां पूरी होने के बाद वह उसे उचित दंड अवश्य देगा।
श्रीकृष्ण और शिशुपाल बैर की शुरुवात - shree krishna leela
जब रुक्मणी का विवाह उसके माता पिता श्री कृष्ण के साथ करना चाहते थे। लेकिन रुक्मणी का बड़ा भाई जिसका नाम रूकमी था वह चाहता था कि उसकी बहन का विवाह शिशुपाल के साथ हो, और इसलिए उन्होंने रुक्मणी का टीका शिशुपाल के के यहां भिजवा दिया। रुक्मणी श्री कृष्ण से प्रेम करती थी, और इसलिए उसने श्रीकृष्ण को एक ब्राह्मण के हाथों अपना संदेश भेज दिया।
भगवान श्री कृष्ण भी रुक्मणी से प्रेम करते थे। और यह ये भी जानते थे, कि रुक्मणी के माता-पिता उसका विवाह उनके साथ करना चाहते हैं। लेकिन उसका बड़ा भाई श्री कृष्ण को शत्रु मानता है। जिसके कारण यह वह विवाह नहीं होने देगा। श्री कृष्ण ने इसके बावजूद बड़ी से चलाखी रुक्मणी से विवाह कर लिया, इस विवाह को शिशुपाल ने अपना अपमान समझा और वह श्रीकृष्ण को अपना शत्रु समझने लगा।
शिशुपाल के १०० अपराध - shishupal ke 100 aparadh
कुछ समय बाद युधिष्ठिर ने यज्ञ का आयोजन किया तो उन आयोजन में सभी राजा आमंत्रित किए गए। उस आयोजन में शिशुपाल भी आया था|जब देवता की जगह पर श्री कृष्ण का सम्मान और पूजन करते हुए देखा, तो शिशुपाल बहुत ही क्रोधित हो गया और उसने श्रीकृष्ण को अपशब्द कहना शुरू कर दिया।
यज्ञ में उपस्थित सभी लोगों ने शिशुपाल को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना अर्जुन और भीम तो शिशुपाल को मारने तक के लिए खड़े हो गए थे। लेकिन श्रीकृष्ण ने उन दोनों को रोक दिया, शिशुपाल लगातार गालियां देता रहा और श्रीकृष्ण उसकी गालियां को गिनते रहे।
शिशुपाल का अंत - shishupal vadh
जब शिशुपाल ने एक सौ- अपशब्द कह दिए तब शिशुपाल के 100 अपराध पूरे हुए। श्रीकृष्ण ने कहा अब तुम रुक जाओ, वरना परिणाम अच्छा नहीं होगा। श्री कृष्ण के समझाने के बाद भी शिशुपाल नहीं रुके और अपने अपशब्द कहता रहा। श्री कृष्ण के समझाने के बाद जैसे ही शिशुपाल ने मुंह से पहला अपशब्द निकाला, श्री कृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध कर दिया।
श्रीकृष्ण का संदेश
इस प्रसंग से(shishupal vadh ki kahani) हम सीख ले सकते हैं, कि यदि कोई बार-बार हमारा अपमान करता है। तो उसे समझाने का पूरा प्रयास करना चाहिए। लेकिन यदि बार-बार समझाने के बाद भी वह व्यक्ति ना समझे और आपके मान सम्मान को ठेस पहुंचाए। तो उसे उचित जवाब देना भी जरूरी है। ऐसे लोगों को चुप करने के लिए हमें श्रेष्ठ काम करना चाहिए। और उसकी बातों को गलत साबित कर देना चाहिए। दोस्तों भगवान श्री कृष्णा और शिशुपाल का यह प्रसंग हमें जीवन में इस तरह के लोगों से निपटने के लिए एक बहुत अच्छी सीख देता है। जिसे अपनाकर हम अपने जीवन में कई परेशानियों को खत्म कर सकते हैं।
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