महाभारत की कहानी- महाभारत युद्ध मे शामिल सभी वीरों के नाम और इस भयानक युद्ध के तीन सबसे बड़े खलनायक
महाभारत युद्ध
कुरुक्षेत्र में लड़ा गया महाभारत का युद्ध भयंकर युद्ध थ. इस युद्ध में संपूर्ण भारतवर्ष के राजाओं के अतिरिक्त बहुत से अन्य देशों के राजाओं ने भी भाग लिया. लाखों वीर मारे गए,लाखों महिलाएं विधवा हो गईं. . अब सवाल यह उठता है कि आखिर कौन इस युद्ध का जिम्मेदार था और कौन इस युद्ध का सबसे बड़ा खलनायक था? आलोचक कहते हैं कि पांडवों ने संपूर्ण युद्ध छलपूर्वक जीता और जो जीतता है इतिहास उसे ही नायक मानता है. ऐसे में यह कैसे तय होगा कि नायक कौन और खलनायक कौन? महाभारत युद्ध में सबसे बड़ा खलनायक कौन था? सभी इसका जवाब या तो शकुनि देंगे या फिर दुर्योधन. हो सकता है कि कुछ लोग धृतराष्ट्र या दु:शासन का नाम ले या यह भी हो सकता है कि कुछ लोग कर्ण या भीष्म का नाम लें. आओ हम जानते हैं. कौन था सबसे बड़ा खलनायक. यह जानने से पहले कौन कौन शामिल थे युद्ध में.
युद्ध में शामिल वीर
कौरवों की ओर से -
कौरवों की ओर से दुर्योधन व उसके 99 भाइयों सहित भीष्म, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, कर्ण, अश्वत्थामा, मद्रनरेश शल्य (श्रीराम की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए), भूरिश्रवा, अलम्बुष, कृतवर्मा कलिंगराज श्रुतायुध, शकुनि, भगदत्त, जयद्रथ, विन्द-अनुविन्द, काम्बोजराज सुदक्षिण और बृहद्वल युद्ध में शामिल थे.
पांडवों की ओर से -
पांडवों की ओर से युधिष्ठिर व उनके 4 भाई भीम, नकुल, सहदेव, अर्जुन सहित सात्यकि, अभिमन्यु, घटोत्कच, विराट, द्रुपद, धृष्टद्युम्न, शिखण्डी, पांड्यराज, युयुत्सु, कुंतीभोज, उत्तमौजा, शैब्य और अनूपराज नील युद्ध में शामिल थे. इस तरह सभी महारथियों की सेनाओं को मिलाकर कुल 1 करोड़ से ज्यादा लोगों ने इस युद्ध में भाग लिया था. उस काल में धरती की जनसंख्या ज्यादा नहीं थी.
कृष्ण की सेना लड़ी थी दुर्योधन की ओर से -
पांडवों और कौरवों द्वारा यादवों से सहायता मांगने पर श्रीकृष्ण ने पहले तो युद्ध में शस्त्र न उठाने की प्रतिज्ञा की और फिर कहा कि एक तरफ मैं अकेला और दूसरी तरफ मेरी एक अक्षौहिणी नारायणी सेना होगी.
अब अर्जुन व दुर्योधन को इनमें से एक का चुनाव करना था. अर्जुन ने तो श्रीकृष्ण को ही चुना, तब श्रीकृष्ण ने अपनी एक अक्षौहिणी सेना दुर्योधन को दे दी और खुद अर्जुन का सारथी बनना स्वीकार किया. इस प्रकार कौरवों ने 11 अक्षौहिणी तथा पांडवों ने 7 अक्षौहिणी सेना एकत्रित कर ली.
इस भयानक युद्ध के तीन सबसे बड़े खलनायक
पहला खलनायक - धृतराष्ट्र -
सत्यवती के चित्रांगद और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र हुए. पहला अल्पावस्था में मर गया तो दूसरे का विवाह काशी नरेश की पुत्री अम्बिका और अम्बालिका से किया गया, लेकिन इन दोनों से विचित्रवीर्य को कोई संतान नहीं हुई तब सत्यवती ने अपने पराशर से उत्पन्न पुत्र वेदव्यास के माध्यम से अम्बिका और अम्बालिका से पुत्र उत्पन्न कराए. अम्बिका से धृतराष्ट्र और अम्बालिका से पांडु का जन्म हुआ. उसी दौरान सत्यवती ने एक दासी से भी वेदव्यास को 'नियोग' करने का कहा जिससे विदुर जन्मे. पांडु तो शापवश जंगल चले गए, ऐसे में धृतरष्ट्र को सिंहासन मिला. किंवदंती है कि गांधारी धृतराष्ट्र से विवाह नहीं करना चाहती थी लेकिन भीष्म ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से कराया था. लेकिन जब विवाह हो ही गया तब गांधारी ने सबकुछ भूलकर अपना जीवन पति-सेवा में लगा दिया. जब गांधारी गर्भ से थी तब धृतराष्ट्र ने अपनी ही सेविका के साथ सहवास किया जिससे उनको युयुत्सु नाम का एक पुत्र मिला.
दूसरा खलनायक - दुर्योधन -
दुर्योधन की जिद, अहंकार और लालच ने लोगों को युद्घ की आग में झोंक दिया था इसलिए दुर्योधन को महाभारत का खलनायक कहा जाता है. महाभारत की कथा में ऐसा प्रसंग भी आया है कि दुर्योधन ने काम-पीड़ित होकर कुंवारी कन्याओं का अपहरण किया था. द्यूतक्रीड़ा में पांडवों के हार जाने पर जब दुर्योधन भरी सभा में द्रौपदी का का अपमान कर रहा था, तब गांधारी ने भी इसका विरोध किया था फिर भी दुर्योधन नहीं माना था. यह आचरण धर्म-विरुद्ध ही तो था. जब दुर्योधन को लगा कि अब तो युद्ध होने वाला है तो वह महाभारत युद्घ के अंतिम समय में अपनी माता के समक्ष नग्न खड़ा होने के लिए भी तैयार हो गया.
अंत में जानिए सबसे बड़ा खलनायक - शकुनि -
बहुत से लोग कहते हैं कि शकुनि नहीं होता तो महाभारत का युद्ध नहीं होता. सब कुछ ठीक चल रहा था. कौरवों और पांडवों में किसी प्रकार का मतभेद नहीं था, लेकिन शकुनि ने दोनों के बीच प्रतिष्ठा और सम्मान की लड़ाई पैदा कर दी. शकुनि ने ही दुर्योधन के मन में पांडवों के प्रति वैरभाव बिठाया था. शकुनि ने सिर्फ यही कार्य नहीं किया, उसने दुर्योधन सहित धृतराष्ट्र के सभी पुत्रों के चरित्र को बिगाड़ने का कार्य किया. उसका दिमाग छल, कपट और अनीति से परिपूर्ण था. शकुनि मामा थे कौरवों के दुश्मन! गांधारी की इच्छा के विरुद्ध भीष्म ने उसका विवाह धृतराष्ट्र से कराया था. यह बात शकुनि भूला नहीं था. उसने अपने तड़पते पिता की मृत्यु को देखा था. उसके सामने ही उसका पूरा परिवार नष्ट हो गया था. ऐसे में उसके मन में क्या धृतराष्ट्र और कौरवों के प्रति अच्छे भाव रह सकते हैं? इस पूरे घटनाक्रम को जानने के लिए ऊपर की लिंक पर क्लिक करें. माना जाता है कि शकुनि कौरवों और पांडवों दोनों के ही दुश्मन थे और वे दोनों का ही नाश देखना चाहते थे, क्योंकि धृतराष्ट्र ने शकुनि के माता-पिता, भाई और बहन को कारागार में बंद कर भूखों मार दिया था.
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