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महाभारत की कहानी - पूरे जीवनकाल मे सिर्फ 2 बार गांधारी ने अपने आँखों की पट्टी उतारी , जानिए कब और क्यों और उन्होंने आजीवन पट्टी बांधने की प्रतिज्ञा ली?

महाभारत की कहानी - पूरे जीवनकाल  मे सिर्फ 2 बार गांधारी ने अपने आँखों की  पट्टी उतारी , जानिए कब और क्यों और उन्होंने आजीवन पट्टी बांधने की प्रतिज्ञा ली?


महाभारत के कुछ रहस्य है जिन्हे शायद आज भी आप लोग नहीं जानते होंगे ऐसा ही एक रहस्य जुड़ा है गंधार की राजकुमारी से। तो आइये जानते है इनसे जुडी कुछ बातो के बारे में।



आजीवन पट्टी बांधने की प्रतिज्ञा क्यों ली?

 गंधार की राजकुमारी होने की वजह से इनका नाम गांधारी पड़ गया था। धृतराष्ट्र के जन्मांध होने के कारण ही विवाहोपरांत गांधारी ने आजीवन अपनी आँखों पर पट्टी बांधे रखने की प्रतिज्ञा की थी। अपने पति  का दुख समझने के लिए और उसके दुख मे शामिल होने के लिए गांधारी ने भी अपने आप को अंधा बना दिया।  लेकिन गांधारी ने अपने पुरे जीवन में इस प्रतिज्ञा को दो बार तोडा था।

गांधारीने पहली बार अपने आँखों की  पट्टी उतारी

महाभारत में कौरवों की माता और महाराज धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी को भगवान् शिव में असीम आस्था थी और उन्हें भगवान् शिव से ही यह वरदान प्राप्त था कि वह जब कभी भी किसी को भी अपनी आँखों की पट्टी उतारकर देख लेंगी उसका पूरा बदन लोहे का हो जायेगा और इसी वरदान के चलते गांधारी ने पुत्र मोह में आकर अपने अधर्मी पुत्र दुर्योधन की रक्षा करने के लिए महाभारत युद्ध के दौरान उसके पूरे बदन को नंगा देखने के लिए प्रथम बार अपनी पट्टी उतारी थी लेकिन भगवान् कृष्ण की चाल की वजह से अपनी कमर पर शर्म की वजह से दुर्योधन ने केले का पत्ता लपेट लिया था। दुर्योधन की यही गलती उसकी मौत का कारण बनी।



गांधारीने दूसरी  बार अपने आँखों की  पट्टी उतारी
इसके अलावा दूसरी बार गांधारी ने महाभारत युद्ध के आखिरी दिन अपनी पट्टी उतारी थी। जब महाभारत का युद्ध समाप्ति पर था तब जिस समय गांधारी को अपने प्रिय पुत्र दुर्योधन के घायल होने का समाचार प्राप्त हुआ था। उस समय उन्होंने अपनी आँखों की पट्टी खोलकर देखने के लिए भागी थी। लेकिन तब तक भीम ने दुर्योधन की कमर को तोड़ दिया था जिसके कारण दुर्योधन अपनी अंतिम सांस ले रहा था।

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