बिना शस्त्र उठाए कैसे श्रीकृष्ण ने पांडवों को महाभारत का युद्ध जीता दिया? श्रीकृष्ण ने अर्जुन के सारथी क्यों बने?
श्रीकृष्ण पांडवो के साथम क्यों लढे
श्रीकृष्ण ने अर्जुन के सारथी क्यों बने
जब महाभारत का युद्ध होना नीचे हो गया तब कौरव और पांडव दोनों पक्ष अपने अपने सगे संबंधियों को अपने साथ युद्ध में शामिल करने के लिए उन्हें निमंत्रित करने लगे। इसी के चलते अर्जुन और दुर्योधन दोनों भगवान श्री कृष्ण के पास पहुंचे। जब अर्जुन और दुर्योधन भगवान श्री कृष्ण के पास पहुंचे, तब भगवान श्री कृष्ण सोए हुए थे। जब श्री कृष्ण उठे तब उन्होंने सबसे पहले अर्जुन को देखा, उसके बाद अर्जुन को पहले अपना पक्ष रखने के लिए कहा, जिससे दुर्योधन को थोड़ा अच्छा नहीं लगा लेकिन वह कुछ नहीं कर सकता था। भगवान श्री कृष्ण अर्जुन और दुर्योधन दोनों से कहते हैं कि तुम दोनों मेरे संबंधी हो इसलिए मैं दोनों की कुछ ना कुछ मदद करूंगा। एक तरफ मैं स्वयं अकेला निहत्था रहूंगा तथा दूसरी तरफ मेरी नारायणी सेना रहेगी।
उसके बाद अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण को अपने पक्ष में मांगता है, यह देखकर दुर्योधन को बहुत खुशी महसूस होती है कि भगवान श्री कृष्णा अकेले, निहत्थे कुछ नहीं कर सकते। उनकी नारायणी सेना उनका सब कुछ है। जब युद्ध शुरू होने का समय आया तब श्रीकृष्ण एक सारथी के समान अर्जुन के शिविर से निकलने से पहले रथ को पूरी तरह से तैयार करके खड़े हो गए थे। महाभारत की युद्ध के 11वें दिन जब कर्ण और अर्जुन आमने-सामने थे, तब दोनों में बहुत ही भीषण युद्ध हुआ और अर्जुन के बाण से कर्ण का रथ सैकड़ों हाथ पीछे चला जाता था, जबकि कर्ण के बाण से अर्जुन का रथ सिर्फ पांच हाथ ही पीछे जाता था। लेकिन फिर भी भगवान श्री कृष्ण कर्ण की तारीफ करते थे, जिसे सुनकर अर्जुन को और भी ज्यादा क्रोधित हो गया और वह भगवान श्री कृष्ण से पूछते हैं कि आखिर वह कर्ण की प्रशंसा क्यों कर रहे हैं।
उसके बाद भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि हे अर्जुन जिस रथ में हनुमान और स्वयं मैं विराजमान है, उसको कर्ण का बाण 5 हाथ पीछे धकेल दे रहा है, तो यह प्रशंसनीय नहीं तो और क्या है। उसके बाद अर्जुन को एहसास होने लगा था कि कर्ण बहुत बड़ा शक्तिशाली योद्धा है। जब महाभारत का युद्ध खत्म हो चुका तब 18वें दिन भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को रथ से पहले नीचे उतरने के लिए कहते हैं। यह देखकर अर्जुन को आश्चर्य होता है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण हमेशा ही पहले उतरते थे, उसके बाद अर्जुन को उतारते थे।
माहभारत युद्ध के बाद अर्जुन के रथ हूवा नष्ट
लेकिन भगवान श्री कृष्ण के आदेशानुसार अर्जुन पहले र से उतरा फिर हनुमान और भगवान श्री कृष्ण रस से उतरे और कुछ दूर चले गए। उसके पश्चात उस रथ में एक बहुत बड़ा विस्फोट हुआ और वह रथ पूरी तरह से जलकर भस्म हो गया। यह देखकर अर्जुन बहुत ही हैरान और आश्चर्यचकित रह गया। अर्जुन सोचने लगा कि अनेक महारथियों का अंत करने वाला यह रथ आज पल भर में कैसे नष्ट हो गया।
उसके बाद अर्जुन भगवान श्री कृष्ण से रथ का नष्ट होने का कारण पूछता है। तब भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं हे अर्जुन जब भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे महारथियों ने अपने-अपने दिव्यास्त्र इस रथ पर प्रहार किये थे, तभी इस रथ की आयु समाप्त हो चुकी थी। उसके पश्चात यह तो सिर्फ मेरे संकल्प से ही चल रहा था। अगर मैं तुम्हारा सारथी ना होता तो यह रथ कब का नष्ट हो जाए रहता। यह सुनकर अर्जुन को पता चल गया कि महाभारत का युद्ध भगवान श्री कृष्ण के कारण ही पांडवों ने जीती थी। और भगवान श्री कृष्ण ने युद्ध शुरू होने से पहले क्यों आगे बढ़कर अर्जुन के सारथी बने। यह बात अर्जुन की समझ में आ गई।
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