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रविंद्र जडेजा: कभी हार न मानने वाला राजपूत, an inspirational story of sir ravindra jadeja- cricket news

रविंद्र जडेजा: कभी हार न मानने वाला राजपूत- an inspirational story of sir ravindra jadeja 

जब तक महेंद्र सिंह धोनी कप्तान थे तब तक उनके प्रमुख फिरकी गेंदबाज आश्विन और जडेजा हुवा करते थे, लेकिन कोहली ने कप्तानी सभालतेही दोनों की निकाल दिया। उसके बाद टीम इंडिया में दो नए फिरकी गेंदबाज जाये कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल। दोनों ने काफी अच्छी बोलिंग की और फिर भारत को फिर से कभी जडेजा और आश्विन की जरुरत नहीं पड़ी। उन्हें कसौटी क्रिकेट में खेलने का मौका दिया जाता लेकिन कभीभी उन्हें वनडे और टी ट्वेंटी में लिया नहीं गया। जब भी तीसरे बॉलर की जरुरत पड़ती तो कोई नया बॉलर लिया जाता। जैसे क्रुणाल पंड्या, अक्षर पटेल, वाशिंगटोंन सुन्दर अदि को। मानो अश्विन और जडेजा का वनडे और टी ट्वेंटी करिअर ख़त्म हो गया।आश्विन तो टेस्ट खेलते थे लेकिन जबसे हार्दिक पंड्या ने टेस्ट क्रिकेट आए तबसे उनको टेस्ट टीम मेभी पक्का स्थान नहीं दिया जाता था।




इंग्लैंड दौरे में आया टर्निंग पॉइंट
हार्दिक पांड्या के खराब प्रदर्शन से ही उनको इंग्लैंड में टेस्ट श्रृंखला में टीम में शामिल किया गया। उन्होंने इस मौके का उन्होंने फायदा उठाते हुए गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों क्षेत्र है बहुत अच्छा प्रदर्शन करके सबका दिल जीत लिया। जहां पर भारतीय मैन बल्लेबाज रन्स के लिए तरस रहे थे उस पिच पर उन्होंने अर्धशतक जड़कर अपना लोहा मनवाया। 



एशिया कप में दमदार वापसी
एशिया कप जिताने में भारत की तरफ से सबसे महत्वपूर्ण योगदान रविंद्र जडेजा ने दिया। पहले तो उनका टीम में खेलना भी संभव नहीं था। पहले मैच में हार्दिक पांड्या के चोटिल हो जाने के कारण उनको मौका दिया गया, उस मौके का उन्होंने फायदा उठाते हैं बांग्लादेश के खिलाफ 4 विकेट चटकाए और बहुत ही नफ़ीतुली बोलिंग की। उस मैच के दौरान वह करीब करीब 15 महीने बाद एकदिवसीय क्रिकेट खेल रहे थे।



एशिया कप में अफगानिस्तान के खिलाफ भारत की माध्यम क्रम की बल्लेबाजी पूरी तरह फेल हो गई तो वो जड़ेजा थे जिन्होंने पारी को संभाला। यही बात फाइनल में भी देकने को मिली उन्होंने भुवनेश्वर कुमार को साथ लेते हुए एक महत्वपूर्ण भागीदारी की, जिसने भारत की जीत को पक्का कर दिया। जब वो खेलने आए तो महेंद्र सिंह धोनी आउट हो चुके थे और केदार जाधव चोटिल होकर पेवेलियन लौट चुके थे ऐसे में भारत को मैच जीतने के लिए एक ऐसे बल्लेबाज की जरूरत थी जो गेंदबाजों को साथ में लेकर पारी को आगे बढ़ाएं, और यही बात उन्होंने की और भारत को जीत की ओर ले गए। एशिया कप में उनका क्षेत्ररक्षण भी बहुत अच्छा हुआ। वैसे भी वो बहुत अच्छे क्षेत्ररक्षक है और हमेशा अपने क्षेत्ररक्षण से काफी रन बचाते है। हमेशा पॉइंट पर बेहतरीन खिलाड़ी को क्षेत्ररक्षण के लिए लगाया जाता है और इंडिया के लिए या काम जडेजा ने बखूबी निभाया। उन्होंने बेहतरीन क्षेत्ररक्षण का प्रदर्शन करते हुए श्रृंखला में कई रन आउट किये। 
इस दो श्रृंखला ने जडेजा को लढने का हौसला दिया। इस अच्छे प्रदर्शन के बाद भी उनको टीम में जगह बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ता था। इनकी आल अराउंड की काबिलियत को नजर अंदाज़ करके सिर्फ सब लोग एक बॉलर ढूंढते थे। इस कारण वह कुलदीप और चहल से पहले कभी टीम में उनका विचार किया नहीं जाता था। जब कभी इन दोनों मेसे कोई फ़ैल हो जाता या किसी एक को आराम दिया जाता तब ही जडेजा को मौका मिलता। लेकिन जडेजा हर बार कामयाब रहे। जिस दिन बोलिंग नहीं चलती थी वह बैटिंग और फील्डिंग से कसर पूरी कर देते थे।



वर्ल्ड कप 2019
अच्छा खेलकर भी उन्हें वर्ल्ड कप के अंतिम 15 सदस्य की टीम में शामिल होने के लिए संघर्ष करना पड़ा। मांजरेकर जैसे पुराने खिलाडियोने तो जडेजा जैसे प्लेयर की टीम को जरुरत नहीं है, ऐसी टिपणी की थी। वर्ल्ड कप को शुरुवाती मैचों में उन्हें जगह नहीं मिली लेकिन जब भी कभी सुबस्टिटूट प्लेयर की जरुरत पड़ती तो जडेजा कोही बुलाया जाता था। क्योंकि सबको पता है कि वह भारत के सबसे बढ़िया क्षेत्ररक्षक है। उन्होंने कई बेहतरीन कैच लपक के और रन आउट करके अपना योगदान दिया।



कुलदीप और चहल को इंग्लैंड पे पिचेस पे मार पड़ना शुरू हुई तब जेक जड़ेगा को वर्ल्ड कप में खेलने का अवसर मिला। उसने बोलिंग, बैटिंग और फील्डिंग में बेहतरीन प्रदर्शन करके सबका दिल ज़ित लिया। सेमि फाइनल मैच में जडेजा ही थे जिनोंहे टीम को संकट में से निकाला और धोनी के साथ आखिर तक लढ़े। भारतीय टीम की इज्जत बचाई। उनके इस जज्बे को सारे भारतवासियो ने सलाम किया। उनके इस मेहनत के लिए भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार देने का एलान किया है।
कल भी वेस्ट इंडीज के खिलाफ जब अजिंक्य रहाणे छोड़के पूरी टीम धराशाही हो चुकी थी तब उन्होंने इशांत शर्मा जैसे बल्लेबाज के साथ 60 रन्स की महत्वपूर्ण साझेदारी की और टीम को सम्मानजनक स्कोर पे पहुँचाया। आखिर तक क्रीज पर रहने का उनका जज्बा कल भी देखने को मिला।




कभी हार न मानते हुए जो भी मौका मिले उसे पूरी तरह भुनाने का इनका जज्बा सबके लिए एक सबक है। युवा खिलाड़ी जिन्हें भारतीय टीम में कम मौके मिलते है उन्हें इस खिलाडी से सिख लेनी चाहिए। जो भी मौके मिले उसका भरपूर इस्तेमाल कर लेना चाहिए।

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